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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2719
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - हिन्दी - कार्यालयी हिन्दी एवं कम्प्यूटर

अध्याय - 6 
टिप्पण

टिप्पण : परिचय

प्रारूपण की तरह टिप्पण भी कार्यालयी प्रक्रिया का आधार स्तम्भ है। प्राय: जब कोई पत्र किसी सरकारी या गैर-सरकारी कार्यालय में आता है, तब से उस पत्र पर कार्यवाही का एक क्रम शुरू हो जाता है। यह क्रम उस समय तक चलता रहता है, जब तक इस पर अन्तिम निर्णय नहीं हो जाता। इन पत्रों के अन्तिम निर्णय तक कार्यालय के लिपिक अथवा अधिकारी जो-जो अभियुक्तियाँ (Remark) लिखा करते हैं, वे टिप्पणी कहलाती हैं और इनके लिखने की प्रक्रिया की टिप्पण कहा जाता है।

शाब्दिक अर्थ - टिप्पण, टिप्पणी, टीप जैसे शब्द अंग्रेजी के 'Noting' (नोटिंग) शब्द के अनुवाद के रूप में प्रचलित हैं। अंग्रेजी का यह 'नोटिंग' शब्द लैटिन भाषा के 'Nota' (नोटा) शब्द से निर्मित है। बाद में अंग्रेजी के 'नोट' शब्द से एब्स्ट्रैक्ट, ब्रीफ रिकॉर्ड या स्टेटमैण्ट आदि शब्दों का प्रयोग चलता रहा। इसी क्रम में 'कमेण्ट' (Comment), 'एनोटेशन' (Annotation), संक्षिप्त पत्र के भाव में विस्तार पा गया।

संस्कृत में टिप्पणी शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार है -

"√fVप् ( प्रेरणा ) + क्विप् टिप् + √पन् (स्तुति) + अच् + ङीष् -'न' को णत्व होकर - टिप्पणी" शब्द बनता है, जिसका शब्दकोशीय अर्थ है— स्मरण करने के लिए कोई बात, टीपने या संक्षिप्त रूप में लिखकर रखने की क्रिया; किसी के सम्बन्ध में प्रकट किया जाने वाला संक्षिप्त विचार/ उपकथन।

परिभाषा – 'बिहार सरकार की हिन्दी व्याख्यान माला' के अनुसार - "पत्र के सार को बतलाते हुए उसके निर्णय के लिए अपना सुझाव देना ही टिप्पण है।"

'भारत सरकार की कार्यालयी पद्धति' के अनुसार — “टिप्पणियाँ वे बातें हैं, जो 'विचाराधीन कागजों के बारे में इसीलिए लिखी जाती हैं कि मामले को निपटाने में सुविधा हो।"

टिप्पणी लिखने की विधि / पद्धति

टिप्पणी लिखने की विधि क्रमश: इस प्रकार है-

1. संकलन व अध्ययन - टिप्पणी लिखने से पूर्व विषय से सम्बन्धित सम्पूर्ण सामग्री का संकलन एवं गहन अध्ययन कर लेना चाहिए, जिससे विषय को समझने में सरलता हो जाए। आवश्यक होने पर विषय के विभिन्न मुद्दों पर निर्देश प्राप्त करने हेतु विभागीय टिप्पणियों का आश्रय लिया जाए।

2. शीर्ष - सर्वप्रथम टिप्पणी पृष्ठ संख्या और उसके बाद टिप्पणी क्रम संख्या लिखें। पत्र की प्राप्ति संख्या अथवा निर्गम क्रम संख्या और पत्राचार वाले भाग में लिखी क्रम संख्या टिप्पणी के पृथक् पृष्ठ पर लिखें; यथा-

पृष्ठ- संख्या xxx
पत्र संख्या - प्रशा०/ हि०/ 20 XX XX
दिनांक - XXमार्च, 20 XX-

3. आगत कार्यालय और सम्बन्ध - पत्र किस कार्यालय से आया है और किस सम्बन्ध में है, इसका उल्लेख भी आवश्यक है। टिप्पणी लिखने का कारण और उसका शीर्षक भी दिया जाए, पर यह संक्षिप्त होना चाहिए; जैसे-

उपसचिव उ०प्र० लखनऊ (कार्यालय)
पत्र - संख्या - प्रशा० / हि० / XX/XXX/XXX
दिनांक 2 मई, 20XX अवलोकनार्थ प्रस्तुत है ।

4. पूर्व पत्र व्यवहार एवं नियम — पूर्व पत्र-व्यवहार व उससे सम्बन्धित नियमों का उल्लेख भी किया जाए। ये सम्पूर्ण नियम व सन्दर्भ टिप्पणी के मूल अंश में न देकर बगल में देने चाहिए। मूल अंश से सम्बन्धित आँकड़ों और समस्याओं का विवरण दिया जाए; जैसे-

इस सम्बन्ध में देखें हमारा पत्र - संख्या वही, दिनांक..... मार्च,
पृष्ठ संख्या ......जून, ...... पृष्ठ संख्या -102 
नियम अनुच्छेद- संख्या .....पृष्ठ

5. टिप्पणी के हस्ताक्षर और तिथि-अन्त में टिप्पणी लिखने वाले को बायीं ओर अपने संक्षिप्त हस्ताक्षर करके तिथि डाल देनी चाहिए। लिपिक अथवा सहायक अधिकारी द्वारा दी गई टिप्पणी को अनुभाग अधिकारी ध्यान से पढ़ता है। यदि वह इसे अपर्याप्त समझता है या उस पर अपने कुछ विचार व्यक्त करना चाहता है तो उन्हें जोड़ देता है। यदि वह अपने स्तर - पर कुछ न करके सचिव, उपसचिव और शाखाधिकारी को दिखाना आवश्यक समझता है तो हस्ताक्षर करके उनके कार्यालय में भेज देता है। यदि वह अधिकारी प्रस्तुत टिप्पणी से असन्तुष्ट रहता है तो दूसरी टिप्पणी वह स्वयं तैयार करता है और यदि उसका विचार हो कि विषय साधारण है तथा विषय के निपटाने में वह स्वयं सक्षम है तो वह दायीं ओर अपने हस्ताक्षर करके तथा उचित निर्देश देकर फाइल को वापस भेज देता है।

यदि विषय जटिल या विवादस्पद हो तथा अनुभाग अधिकारी के स्तर पर न सुलझाया जा सके, तब अनुभाव अधिकारी शाखाधिकारी के पास टिप्पणी भेजता है। शाखाधिकारी उचित निर्देश देने के पश्चात् दायीं ओर अपने पूरे हस्ताक्षर करके लौटा देता है। यदि वह समझता है कि सचिव और उपसचिव के भी विचार जानना आवश्यक है तो उनके नाम अंकित करके उनके पास भेज देता है। कभी-कभी समय कम होने पर शाखाधिकारी उनसे टेलीफोन द्वारा व्यक्तिगत सम्पर्क करके भी मौखिक जानकारी देता है।

स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

1. जिस पत्र के उत्तर में टिप्पणी लिखें, उसका समाधान आवश्यक है। समाधान के लिए कई विकल्प होने पर सारे विकल्प सुझाते हुए यह बताना चाहिए कि किस-किस विकल्प को चुनना श्रेयस्कर है और क्यों ।

2. टिप्पणी लिखते समय टिप्पणी- लेखक विचारों के पूर्व क्रम पर समुचित ध्यान देता है। वह उसमें पूर्ववर्ती कार्यवाही आदि का क्रमिक उल्लेख करते हुए बताता है कि वर्तमान स्थिति क्या है तथा भविष्य में क्या कार्यवाही करनी चाहिए।

3. टिप्पणी किसी कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही से सम्बद्ध हो सकती है। कभी-कभी टिप्पणीकार को अपने अधीन काम करने वाले कर्मचारी की आलोचना करनी पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में हमेशा ध्यान रहे कि संयत भाषा का ही प्रयोग किया जाए; किसी भी भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले कटु शब्दों का प्रयोग न किया जाए।

4. टिप्पणी पूर्णतया गैर-वैयक्तिक होनी चाहिए। टिप्पणी में कार्यालय के किसी वरिष्ठ या कनिष्ठ अधिकारी अथवा कर्मचारी पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं किए जाने चाहिए।

5. टिप्पणी में पुनरुक्ति नहीं होनी चाहिए। एक बात को एक ही बार लिखा जाए।

6. टिप्पणी में व्यर्थ के विस्तार से कोई लाभ नहीं होता। उपलब्ध तथ्यों के सन्दर्भ में सुनियोजित ढंग से तर्क प्रस्तुत करते हुए एक ऐसा विकल्प सुझाना चाहिए, जिससे उचित दिशा में अग्रसर होकर निर्णय दिया जा सके।

7. टिप्पण किस सम्बन्ध में है, यह स्पष्ट करने के लिए टिप्पणी प्रारम्भ करने से पहले टिप्पणीकार को पत्राचार सम्बन्धी विवरण अवश्य देना चाहिए; तथा — “शिक्षा सचिव लखनऊ का पत्र संख्या 55/3020/74-75/ दिनांक - 27-4XX पृष्ठ 20 पर संलग्न है । "

8. टिप्पणी सदैव संक्षिप्त व सरल नहीं होती। किसी विषय पर कभी-कभी विभिन्न दृष्टियों से विचार करते हुए लम्बी टिप्पणी लिखनी आवश्यक होती है। अतएव विषय का उपविभाजन करने के पश्चात् विभिन्न बिन्दुओं पर पृथक्-पृथक् विचार करते हुए अन्त में समाधान प्रस्तुत करना चाहिए।

9. टिप्पणी में प्रथम पुरुष के प्रयोग से बचना चाहिए । अन्य पुरुष का ही प्रयोग करें। उसमें मैं, मैंने आदि शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

10. टिप्पणी के पहले अनुच्छेद को छोड़कर शेष सभी अनुच्छेदों को संख्याबद्ध कर । इससे अनुच्छेद का सन्दर्भ देना सरल होता है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 कार्यालयी हिन्दी का स्वरूप, उद्देश्य एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 कार्यालयी हिन्दी में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 संक्षेपण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 पल्लवन
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 प्रारूपण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 टिप्पण
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 कार्यालयी हिन्दी पत्राचार
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 हिन्दी भाषा और संगणक (कम्प्यूटर)
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 संगणक में हिन्दी का ई-लेखन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 हिन्दी और सूचना प्रौद्योगिकी
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 भाषा प्रौद्योगिकी और हिन्दी
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

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